\ Butati Dham paralysis temple in rajasthan: बुटाटी धाम मेला कब हैं

बुटाटी धाम मेला कब हैं

बुटाटी धाम का मेला हैं कब 

                                   

बुटाटी धाम का मेला हेमसा की तरह इस बार भी बुटाटी धाम में स्थित संत चतुर दास महाराज मंदिर में कार्तिक शुक्ला एकादशी को मनाया जायगा | यानि  24 नवंबर को मनाया जायगा 23 की रात को जागरण होता हे और दूसर दिन मेला लगता हे  

  

बुटाटी धाम के मेले में लगती है भीड़ 

उस सुबह से ही बस, जीप, ट्रैक्टर, टैम्पो, टैक्सी व अन्य वाहनों से जातरूओं के पहुंचने का क्रम शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा। सुबह से ही मंदिर परिसर में दर्शन के लिए जातरूओं की लम्बी कतारें लग गई। लोगों को दर्शन के लिए कतारों में घंटों खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। बुटाटी धाम से नागौर, अजमेर, जयपुर, सीकर, डीडवाना, मकराना, डेगाना, जोधपुर आदि रूटों पर चलने वाली रोडवेज व निजी बसों में सवारियों की भीड़ के कारण अच्छा राजस्व मिला। हालात ये रहे कि बुटाटी धाम से भीड़ के कारण अन्य लोकल बस स्टैंडों पर बसें नहीं रूकने से यात्रियों को घंटों तक बस का इंतजार करना पड़ा।


बुटाटी धाम के मेले में आये झूले 


मेले में पहुंचते ही सभी जगह शोरगुल होता रहता है और बहुत ही भीड़ भाड़ रहती है. मेले में भीड़ भाड़ होने की वजह से कुछ लोग धक्का-मुक्की भी करते है. हम मेले में पहुंचते हैं पूरे मेले का एक राउंड लगाते हैं और फिर झूला झूलते है कबड्डी का मैच, जादूगर का खेल देखते है. कुछ समय बाद हमें भूख लगती है तो हम समोसे, कचोरी और गोलगप्पे खा कर अपना पेट भरते है.






पिताजी से मेले में खर्च करने के लिए कुछ रुपए मिल जाते है. इसके बाद मैं अपने दोस्तों के साथ मेला देखने निकल पड़ता हूं. मेला रामलीला मैदान में लगता है जो कि हमारे घर से 1 किलोमीटर दूर पड़ता है. हम मेले में पैदल ही जाते हैं और आने जाने वाले हो लोगों और हमारे जैसे बच्चों को देखते है वे वह मेले से खरीदारी करके लौट रहे होते हैं खूब खुश होते हैं और गुब्बारे और सीटियां लेकर आते हैं यह देख हमारा उत्साह और बढ़ जाता है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राजस्थान में कौन सा मंदिर है जहां लकवा ठीक होता है?

भारत में कौन सा मंदिर है जहां लकवा ठीक होता है?                        पूरे भारत में एक मात्र मंदिर जहां होता है लकवे का इलाज। यहां आने वाले...