\ Butati Dham paralysis temple in rajasthan

बुटाटी धाम आने से पहले लकवे के मरीज के साथ यह 4 स्टेप कीजिए

 Step 1 :- सबसे पहले आपको मौली का एक धागा लेना हैं 


 Step 2 :- उसके बाद आपको उस मौली के धागे में 7 गांठे लगाना 

हैं 

Step 3 :- फिर आपको इस धागे को हाथ मैं लेना हैं फिर आंखे बंद कर के सच्चे मन से आपको संत श्री चतुरदास जी महाराज का नाम लेना है

Step 4 :-फिर आपको मरीज के जिस तरफ या जिस जगह लकवा है यदि हाथ के लकवा है तो आपको हाथ के वो धागा बांध देना है यदि पैर के लकवा है तो आपको पैर के वो धागा  बांध देना है यदि मरीज के लेफ्ट साइड या राइट साइट हाथ या पैर दोनों के हैं  तो आपको या तो हाथ के या पैर के इस धागे को  बांध देना हैं 

         


Butati Dham Contact Number:

बुटाटी धाम मंदिर खुल चूका हे फिर से मंदिर के अंदर रहने की सुविधा स्टार्ट हो चुकी है  :-

बुटाटी धाम के बारे में कुछ भी जानना हो या बुटाटी धाम खुला हे या नहीं इस बारे में जानकारी चाहिए तो पहले इस वेबसाइट पर देखे यदि आपको शारी जानकारी प्राप्त जाएगी कॉल करनी की कोई जरूरत नहीं हे   

बुटाटी धाम चतुरदास जी महाराज' के मंदिर के बारे में यदी आपको कोई जानकरी चाहिए तो नंबर पर कॉल करे कॉल करने के लिए कॉल की फोटो पर क्लिक करे


  बुटाटी धाम आने से पहले मरीज के साथ   ये जरुर करे उसी के बाद ही आये:-


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कोरोना में बुटाटी धाम मंदिर खुला है क्या:-




    






butati dham chaturdas ji ki aarti video:

बुटाटी धाम संत श्री चतुर्दस जी महाराज के मंदिर के का आरती का वीडियो






बुटाटी धाम मंदिर में लाइव आरती के द्वारा श्री चतुरदास जी महाराज की आरती के दर्शन दुर बैठे लकवे के मरीज आरती के दर्शन कर पाएंगे.

यह मंदिर सप्त परिक्रमा द्वारा लकवा के रोग से मुक्त कराने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लकवा के मरीजों को सात दिन का प्रवास करते हुए रोज एक परिक्रमा लगानी होती है

butati dham aarti time table:

 

बुटाटी धाम चतुरदास जी महाराज' मंदिर  आरती टाइम, सुबह की आरती 5.30 बजे , शाम की आरती 5.50 बजे



बुटाटी धाम मंदिर में आरती के द्वारा श्री चतुरदास जी महाराज की आरती के दर्शन दुर बैठे लकवे के मरीज आरती के दर्शन कर पाएंगे.

बुटाटी धाम  श्री चतुरदास जी महाराज का मंदिर यहां दिन में दोनों वक्त सुबह और शाम मंदिर के अंदर आरती की जाती है सुबह आरती का टाइम 5:45 और शाम का टाइम 5:50 होती हे 

यह मंदिर सप्त परिक्रमा द्वारा लकवा के रोग से मुक्त कराने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लकवा के मरीजों को सात दिन का प्रवास करते हुए रोज एक परिक्रमा लगानी होती है


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